अठारह महापुराणों में 'विष्णु पुराण' का आकार सबसे छोटा है। किन्तु इसका महत्त्व प्राचीन समय से ही बहुत अधिक माना गया है। संस्कृत विद्वानों की दृष्टि में इसकी भाषा ऊंचे दर्जे की, साहित्यिक, काव्यमय गुणों…
अठारह महापुराणों में 'विष्णु पुराण' का आकार सबसे छोटा है। किन्तु इसका महत्त्व प्राचीन समय से ही बहुत अधिक माना गया है। संस्कृत विद्वानों की दृष्टि में इसकी भाषा ऊंचे दर्जे की, साहित्यिक, काव्यमय गुणों से सम्पन्न और प्रसादमयी मानी गई है। इस पुराण में भूमण्डल का स्वरूप, ज्योतिष, राजवंशों का इतिहास, कृष्ण चरित्र आदि विषयों को बड़े तार्किक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। खण्डन-मण्डन की प्रवृत्ति से यह पुराण मुक्त है। धार्मिक तत्त्वों का सरल और सुबोध शैली में वर्णन किया गया है।