जिसे यज्ञोपवित यानी जनेऊ संस्कार के नाम से भी जाना जाता है. जिन लोगों का उपनयन संस्कार होता है, उन्हें गायत्री मंत्र की दीक्षा मिलती है. इसके बाद उसे आजीवन यज्ञोपवीत धारण करना होता है. इसमें पांच गाठें…